राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ का मानना है कि वोट बैंक, मज़हबी आरक्षण और तुष्टिकरण की राजनीति के चलते भारत में मुस्लिम समाज के अस्तित्व को ही खतरा बनता जा रहा है.
संघ के मुखपत्र पांचजन्य के एक आलेख में इस बारे में आगाह करते हुए कहा गया कि जैसे जैसे मज़हबी आरक्षण का अनुपात बढ़ता जाएगा, वैसे वैसे आरक्षण का लाभ उठाने वालों का सम्मान घटता जाएगा. जब बहुसंख्यक समाज के लोगों की तुलना में आरक्षण के आधार पर किसी मज़हब विशेष के लोगों को ज्यादा दिया जाएगा, तो सामाजिक समरसता और सौहार्द को तार-तार होने से कोई भी कानून रोक नहीं सकेगा.
इसमें कहा गया है कि सामाजिक मनोविज्ञान की यह एक प्रक्रिया है जिसे कथित अल्पसंख्यकों को अपने एवं देश के हित में समझ लेना चहिए.
लेख में यह भी कहा गया है कि हिन्दुत्व के कारण भारत में हजारों वषरे से सैकड़ों मज़हबों और जातियों को पूर्ण स्वतंत्रता दी जा रही है. जब तक हिन्दुत्व के विशाल एवं सर्वस्पर्शी दृष्टिकोण वाला वैचारिक राष्ट्रीय आधार सुरक्षित रहेगा, यह स्वतंत्रता भी जीवित रहेगी. शर्त यह है कि ये मज़हब और जातियां अपने को दी जाने वाली ढेरों सुविधाओं की आड़ में राष्ट्र की मुख्यधारा से टकराने की चाहत छोड़ दें.
मुसलमानों से इसमें कहा गया है, ‘सौभाग्य से वर्तमान समय में हो रहे राष्ट्रीय जागरण ने मुस्लिम भाइयों को ऐसा अवसर प्रदान किया है कि वे अतीत की भूलों का परिमार्जन कर सकें. अपने आपको राष्ट्र की मुख्यधारा से जोड़ सकें. जिस मज़हब और परंपरा का वे पालन करते हैं, वह उनका अपना स्वयंस्वीकृत मज़हब नहीं है. वह तो विदेशी हमलावरों की ओर से तलवार के ज़ोर पर उन पर थोपा गया है. हमारे मुस्लिम भाइयों को राष्ट्र एवं स्वयं अपने हित में इन सच्चाइयों को समझकर राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान करना चाहिए.’
संघ के मुखपत्र ने इस नसीहत में आगे कहा है, वर्तमान में हो रहे देशव्यापी राष्ट्रजागरण के संकेत समझकर भारतीय मुस्लिम समाज के अधिकांश नेता समझने लगे हैं कि अब हिन्दू समाज भी पहले जैसा कमज़ोर, शक्तिहीन और असंगठित नहीं रहा. मुसलमानों को अपने मज़हब को नई परिस्थितियों और भारत के संदर्भ में ढालना चाहिए.
मुसलमानों के पिछड़ेपन का उल्लेख करते हुए लेख में कहा गया है कि वोट बैंक की खातिर मुस्लिम समाज को विशेष राजनीतिक झुंड बनाकर रखने वाली मौकापरस्त कांग्रेस जैसे कथित सेकुलरवादी दल ही मुसलमानों की कथित गरीबी और पिछड़ेपन के लिए जिम्मेदार हैं.
इस संदर्भ में कांग्रेस अध्यक्ष को निशाना बनाते हुए कहा गया है कि भारत के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद अर्थात हिन्दुत्व को टुकड़ों में बांट देने के विदेशी षडयंत्रों को आज की सोनिया गांधी निदेर्शित डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार पूरा करने को उतावली हो रही है. इसके तहत अल्पसंख्यकवाद को संवैधानिक सहारा देने के लिए मज़हब आधारित आरक्षण जैसे खतरनाक खेल को अंजाम देने की तैयारी की गई है.
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