बौंसी (बांका)। महात्मा गांधी, गौतम बुद्ध, स्वामी विवेकानंद जैसे महान हस्तियों की धरती को करीब से विदेशी सैलानियों की जानने की ललक ने स्विटजरलैंड की बाला कैटरीन शूटर को भी भारत खींच लाई। वह बिहार के बांका जिले के बौंसी प्रखंड स्थित योगनगरी गुरुधाम आई हुई हैं। भारतीय संस्कृति, सभ्यता और गुरु-शिष्य परंपरा को देख इस कदर प्रभावित हुई है कि योग दीक्षा लिये बगैर स्वयं को रोक नहीं पायी। इतना ही नहीं वापस अपने देश लौट कर इसका प्रचार-प्रसार करने का बीड़ा भी उठाया है।
कैसे यहां पहुंची
गुरुधाम के योग गुरु अमरनाथ तिवारी से जगन्नाथपुरी (उड़ीसा) में दिसंबर 2011 में कैटरीन की मुलाकात हुई थी। योग गुरु ने ही बौंसी स्थित गुरुधाम आने का न्योता दिया था। जिसे सहर्ष स्वीकार करते हुए आने का वादा किया था। बौंसी पहुंच कर अपना वादा पूरा भी किया।
भारतीय परिधान में ली दीक्षा
क्रीम कलर का काडीगन, नीले चटख रंग की साड़ी में लिपटी, हाथों से साड़ी का पल्लू समेटे और माथे के बीच में मांग खोल पीछे से चोटी बांधे कैटरीन बिल्कुल भारतीय परिधान में थी। हाथ जोड़ कर उपस्थित लोगों जब कैटरीन ने हेलौ की जगह नमस्ते किया तो उपस्थित लोगों को आश्चर्य का ठीकाना नहीं रहा। इससे पहले कैटरीन स्विटरजरलैंड से दिल्ली होते हुए बौंसी आयी थी तब जिन्स और टी-शर्ट पहनी हुई थी।
गुरु-शिष्य पररंपरा को अपनाएगी
ज्यूरिक (स्विटरजरलैंड) में पेशे से शिक्षक रही कैटरीन ने बताया कि ‘वहां’-‘यहां’ की शिष्यों की परंपरा में काफी फर्क है। यहां के शिष्यों में पढ़ाई के साथ-साथ संस्कार भी दी जाती है। इसे वापस लौट कर अपने देश में अपनाऊंगी और लोगों को भी इससे प्रेरित करुंगी।
कैसे यहां पहुंची
गुरुधाम के योग गुरु अमरनाथ तिवारी से जगन्नाथपुरी (उड़ीसा) में दिसंबर 2011 में कैटरीन की मुलाकात हुई थी। योग गुरु ने ही बौंसी स्थित गुरुधाम आने का न्योता दिया था। जिसे सहर्ष स्वीकार करते हुए आने का वादा किया था। बौंसी पहुंच कर अपना वादा पूरा भी किया।
भारतीय परिधान में ली दीक्षा
क्रीम कलर का काडीगन, नीले चटख रंग की साड़ी में लिपटी, हाथों से साड़ी का पल्लू समेटे और माथे के बीच में मांग खोल पीछे से चोटी बांधे कैटरीन बिल्कुल भारतीय परिधान में थी। हाथ जोड़ कर उपस्थित लोगों जब कैटरीन ने हेलौ की जगह नमस्ते किया तो उपस्थित लोगों को आश्चर्य का ठीकाना नहीं रहा। इससे पहले कैटरीन स्विटरजरलैंड से दिल्ली होते हुए बौंसी आयी थी तब जिन्स और टी-शर्ट पहनी हुई थी।
गुरु-शिष्य पररंपरा को अपनाएगी
ज्यूरिक (स्विटरजरलैंड) में पेशे से शिक्षक रही कैटरीन ने बताया कि ‘वहां’-‘यहां’ की शिष्यों की परंपरा में काफी फर्क है। यहां के शिष्यों में पढ़ाई के साथ-साथ संस्कार भी दी जाती है। इसे वापस लौट कर अपने देश में अपनाऊंगी और लोगों को भी इससे प्रेरित करुंगी।
अमर तिवारी के साथ कैटरीन शूटर
कैटरीन शूटर
पूजा करते सांसद नीशिकांत दुबे
No comments:
Post a Comment