महात्मा की अस्थियों को एक व्यापारी ने मणिभवन ट्रस्ट को सौंपा था
भारत के राष्ट्रपिता कहे जाने वाले महात्मा गाँधी की अस्थियों का एक कलश बुधवार को उनकी 60वीं पुण्यतिथि पर विसर्जित किया जाएगा.
विसर्जन का काम मुंबई में किया जाएगा. बापू की इन अस्थियों को अरब सागर में प्रवाहित किया जाना है.
महात्मा गांधी की 60 वर्ष पहले 30 जनवरी, 1948 को दिल्ली में हत्या कर दी गई थी जिसके बाद उनकी अस्थियों को देश के अलग-अलग हिस्सों में विसर्जित भी कर दिया गया था.
पर पिछले दिनों एक व्यापारी परिवार ने मुंबई स्थित मणिभवन को एक कलश देते हुए बताया कि इसमें महात्मा गांधी की अस्थियाँ हैं और यह कलश वर्ष 1948 से ही उनके पास रखा हुआ है.
'विसर्जन ही उचित'
मणिभवन ट्रस्ट की मंशा थी कि इस कलश को लोगों के दर्शन के लिए बापू की एक संग्रहणीय सामग्री के तौर पर सुरक्षित रखा जाए पर बापू के परिजन इससे सहमत नहीं है.
महात्मा गांधी के परिवार की चार पीढ़ियों के सदस्यों का तर्क है कि बापू नहीं चाहते थे कि उनकी अस्थियों को रखा जाए. वो चाहते थे इन्हें विसर्जित कर दिया जाए.
परिवार का कहना है कि धर्म के मुताबिक भी यही सही होगा कि उन्हें विसर्जित कर दें.
पिछले कुछ दिनों से यह अस्थिकलश मणिभवन में लोगों के दर्शन के लिए रखा था. इस दौरान बड़ी तादाद में लोग बापू के अवशेषों को देखने आए.
माना जा रहा है कि यह अस्थिकलश बापू का अंतिम बचा अवशेष होगा.
बुधवार को विसर्जन के दौरान महात्मा गांधी के परिवार के कई सदस्य, राज्य सरकार के कई वरिष्ठ अधिकारी, कई गांधीवादी और आम लोग इकट्ठा हो रहे हैं.
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